Mujhe tumse mohabbat hogayi hay
tumhary naam se nisbat hogayi hay
PehrooN soochta rehta hoon tujh ko
tere khiyalooN se qurbat hogayi hay
Tu kahaye aur maiN sunta rahoN sada
teri baatooN ki sohbat hogayi hay
Na rooktay ho na hi janay ki ijaazat
inn adaoN se mohabbat hogayi hay
Kaise kare mohabbat ka izhaar Aman
teri har ek sooch naimat hogayi hay
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तु कहाए और मैं सुनता राहों सदा
ReplyDeleteतेरी बाटों की सोहबत होगई हाय
काफी दिनों बाद एक सुंदर कविता पड़ने को मिली.
aapki sabhi rachnaye lajwaab hai.
ReplyDeleteजिम्मी बेटा, अच्छी रचना है तुम्हारी पर देवनागरी का प्रयोग क्यों नहीं करते...? जल्दी बताऒ...!!!
ReplyDeleteअच्छी रचना है. देवनागरी में पढ़ने पर और अच्छा लगता.
ReplyDeletebahut sundar.keep it up.
ReplyDelete"teri har ek soch naimat ho gyi hai..."
ReplyDeletejwaab nahi aapka ....kis saleeqe se naimat ka istemaal kiya hai...
achhi rachna hai
badhaaee
---MUFLIS---
Lajwaab rachna
ReplyDeleteतू कहे और मैं सुनता रहूँ सदा
ReplyDeleteतेरी बातों की शोहबत हो गयी है
बहोत खूब....!!
जैसा की सभी ने कहा देवनागरी में पढ़ के और अच्छा लगता ....!!
रूमानी जज्बातों का खूबसूरत अंकन।
ReplyDeleteअगर रचना देवनागरी लिपि में होती, तो ज्यादा मजा आता।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
i like it.please visit on http://dil-e-naadan.blogspot.com/
ReplyDeletegood. just say I LUV U.. thats all..
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